Breaking News
भूस्खलन की चपेट में आने से मां बेटी की मलबे में दबने से हुई मौत
भूस्खलन की चपेट में आने से मां बेटी की मलबे में दबने से हुई मौत
कई बार पोछा लगाने पर भी नहीं साफ हो रहे दाग, तो अपनाएं ये टिप्स, हीरे जैसी चमकेगी टाइल्स
कई बार पोछा लगाने पर भी नहीं साफ हो रहे दाग, तो अपनाएं ये टिप्स, हीरे जैसी चमकेगी टाइल्स
आईटीबीपी इंस्पेक्टर चंद्र मोहन सिंह भारत-चीन सीमा पर हुए शहीद
आईटीबीपी इंस्पेक्टर चंद्र मोहन सिंह भारत-चीन सीमा पर हुए शहीद
सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश को किया नाकाम, एक आतंकी ढेर
सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश को किया नाकाम, एक आतंकी ढेर
प्रदेशभर में भारी बारिश से जन- जीवन हुआ अस्त- व्यस्त, कहीं बहे पुल, तो कहीं घरों में घुसा पानी 
प्रदेशभर में भारी बारिश से जन- जीवन हुआ अस्त- व्यस्त, कहीं बहे पुल, तो कहीं घरों में घुसा पानी 
कांवड़- आस्‍था का बदलता चलन
कांवड़- आस्‍था का बदलता चलन
लद्दाख पहुंचे पीएम मोदी, कारगिल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
लद्दाख पहुंचे पीएम मोदी, कारगिल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
जलाशयों की रॉयल्टी फ्री डिसिल्टिंग की बनेगी नीति
जलाशयों की रॉयल्टी फ्री डिसिल्टिंग की बनेगी नीति
कारगिल विजय दिवस – सीएम धामी ने शहीद परिवारों के हित में की चार घोषणाएं
कारगिल विजय दिवस – सीएम धामी ने शहीद परिवारों के हित में की चार घोषणाएं

उत्तराखंड की जयंती ने ऊंची छलांग लगाते हुए बोस्टन मैराथन में बनाया स्थान

उत्तराखंड की जयंती ने ऊंची छलांग लगाते हुए बोस्टन मैराथन में बनाया स्थान

जयंती का 128वीं बोस्टन मैराथन में चयन

15 अप्रैल को बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा 128वीं बोस्टन मैराथन का आयोजन किया जाएगा

देहरादून। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की जयंती ने अपने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर दिया है। बचपन से ही संघर्षमय जीवन यापन करने वाली जयंती ने बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा आयोजित बोस्टन मैराथन की 128वीं दौड़ में अपना स्थान बना लिया है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित 128वीं बोस्टन मैराथन में जयंती थपलियाल का चयन हुआ है जिसका आयोजन 15 अप्रैल, 2024 को हो रहा है।खेल प्रेमियों को उम्मीद है खेलों को बढ़ावा देने वाली धामी सरकार जयंती थपलियाल का भी हौसला बढायेगी।

जीवन परिचय
जयंती का जन्म 1978 में उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता दिल्ली में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। वह 7 वर्ष की उम्र में वह परिवार के साथ दिल्ली आ गई थी। जयंती अपने तीन भाई बहन में से एक है। तीनों ही स्पोर्टस में रुचि रखते है। पिता की सेलरी इतनी नहीं थी कि वह अच्छे स्टेडियम एवं कोच की फीस भर पाए । इसलिए जयंती पैसे के आभाव में दिल्ली से बाहर किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती थी। लेकिन बावजूद इसके बचपन से ही जयंती कॉलोनी और स्कूल की प्रतियोगिताओं में भाग लेती और जीत भी जाती थी। जयंती के भाई ही उनके मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे है।

खेल की शुरूआत
जयंती ने 12 वर्ष की उम्र में ही त्यागराज स्टेडियम जाना शुरू किया। और 1993 में राष्ट्रीय स्कूल खेलों में हिस्सा लिया। 1994 में जूनियर नेशनल कैम्प का हिस्सा रही। 1996 में सीनियर इंटर स्टेट में पी. टी. ऊषा, बीनामौल जैसी अंतर्राष्ट्रीय दिग्गजों के साथ खेलने का मौका मिला। 1999 में स्पोर्ट्स कोटे से इस विभाग को जॉइन किया।

व्यक्तिगत जीवन
जयंती और उनके पति दोनों नौकरी करते है। उनका एक बेटा भी है।

उपलब्धियां
जयंती थपलियाल 6 बार एडीएचएम स्वर्ण पदक विजेता है। वेदान्ता हॉफ मैराथन (जिसे पहले हच,डाल्फिन और एयरटेल के नाम से जाना जाता था) में जंयती ने अपनी एज कैटेगरी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।

संघर्ष
1995 में जूनियर एशियन के ट्रायल की तैयारी करते हुए जयंती के पांव में कॉर्न हो गया था जिसका ऑपरेशन हुआ। और उन्हें काफी समय तक ट्रायल से दूर रहना पड़ा। 2017 में चाइना एशियन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए नहीं जा पाई। इलाज करवाया और फिर मैदान मे उतरी तथा एयरटेल दिल्ली हाफ मेराथन मे अच्छे टाइमिंग के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top