ब्यूरो रिपोर्ट नरेंद्रनगर
नरेंद्रनगर उत्तराखण्ड का एक छोटा-सा नगर है, जो स्वयं में एक बड़ा इतिहास समेटे हुए है। उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल ऋषिकेश से मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित यह छोटा-सा पर्वतीय पर्यटक स्थल 1903 में चर्चा में आया, जब तत्कालीन टिहरी रियासत के राजा नरेन्द्र शाह ने इसे अपने राज्य की राजधानी प्रतापनगर से हटाकर नरेन्द्रनगर में बनाने का फैसला किया राजमहल से एक किलोमीटर दूर राजभवन स्थापित किया गया, जो भारतीय गणराज्य की स्वतंत्रता के उपरांत टिहरी रियासत को 1947-1948 में संयुक्त प्रांत में सम्मिलित होने पर पचास से अधिक वर्षों तक संयुक्त प्रान्त के पचासवें जनपद टिहरी गढ़वाल के ज़िला मुख्यालय के रूप में उपयोग किया गया
लेकिन आज के दौर में पर्यटन के रूप में नरेंद्रनगर अपनीपहचान खोता जा रहा है ऋषिकेश से महज 15 किलोमीटर दूर व् गंगोत्री।यमनोत्री जाने का पहला पड़ाव नरेंद्रनगर में यात्री भी रुकने का नाम नहीं लेते। राजा कि नगरी होने के वावजूद भी यात्रियों को इस बारे में कोई भी जांनकारी नहीं होती है देखा जाये तो यहाँ राजा का महल अपने में एक पहचान रखता है तो वहीँ रानी का ऐतिहासिक महल और तालाब भी बदहाली के आंसू रो रहा है
नरेंद्र नगर विस्थापन की श्रेणी में न होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश सरकार के तुगलकी आदेश के चलते वर्ष 1989 में नरेंद्र नगर से जिला मुख्यालय नई टिहरी शिफ्ट किया गया,जिला मुख्यालय नई टिहरी शिफ्ट होने के कारण नरेंद्र नगर में भूमि संबंधी सहित अन्य मामलों के पंजीकरण नहीं हो पाए,नरेंद्र नगर में ही पूर्व की भांति जमीन सहित अन्य मामलों के पंजीकरण हो सकें इसके लिए वर्ष 89 में देवप्रयाग के सब रजिस्ट्रार को महीने के दो हफ्तों में तीन-तीन दिन नरेंद्र नगर तहसील में बैठने के आदेश किए गए,मगर वर्ष 2014 में जब भूमि सहित अन्य पंजीकरण ऑनलाइन किए गए, तब से नरेंद्र नगर में भूमि संबंधी व अन्य मामलों के पंजीकरण करने की मनाही कर दी गई,
अब नरेंद्र नगर क्षेत्र के लोगों को 150-150 किमी० दूर देवप्रयाग जाने को मजबूर होना पड़ता है, जिससे लोगों को आर्थिक संकट से जूझने के साथ समय की भी बर्बादी होती है, क्षेत्र के लोगों की मांग पर प्रदेश के दो-दो मुख्यमंत्रियों(पू०मु०मंत्री हरीश रावत व वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत) ने नरेंद्र नगर में सब रजिस्ट्रार कार्यालय खोलने का आश्वासन क्षेत्र के लोगों को दिया था जो अब तक नहीं खुल पाया है, इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है,नियमानुसार हर तहसील में सब रजिस्ट्रार कार्यालय होता है प्रदेश की अन्य तहसीलों में यह व्यवस्था है, मगर दो-दो मुख्यमंत्रियों के आश्वासन के बावजूद नरेंद्र नगर में अभी तक सब रजिस्ट्रार कार्यालय नहीं खुल पाया है जिससे क्षेत्र की जनता में रोष व्याप्त है। क्षेत्र की आम जनता की मांग है कि नरेंद्र नगर में अविलंब सब रजिस्ट्रार कार्यालय खोला जाए ,
देखना है सरकार जनता की इस छोटी सी,मगर महत्वपूर्ण मांग कब तक पूरा करती है।