चीफ एडिटर -अमित रतूड़ी की कलम से
ऋषिकेश। उतराखंड प्रदेश के ऋषिकेश का आर्थिकी का सबसे बड़ा जरिया पर्यटन और तीर्थाटन कोरोना की मार से चौपट होता दिख रहा है। यह कैसे उभरेगा अभी तक इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस सेक्टर से जुड़े लाखों लोग अभी तक बेरोजगार हो चुके हैं। इसे उभारने को व्यवस्था के स्तर से भी फिलहाल कोई प्रयास नहीं दिख रहे।

महामारी कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए इम्पोज किए गए लाॅकडाउन ने तीर्थनगरी के पर्यटन और तीर्थाटन को सबसे अधिक प्रभावित कर दिया है। दो माह से होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, ढाबे बंद हैं। चारधाम की यात्रा पूरी तरह से ठप है। मठ और मंदिर सब कुछ बंद है। इससे लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। हालात दिनों दिन खराब हो रहे हैं। लोग आर्थिक संकट में जीने को मजबूर हैं। बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तीर्थाटन से जुड़े लोगों की माने तो हालात देखकर डर लग रहा है। लोन लेकर स्थापित गेस्ट हाउस, होटल, रेस्टोरेंट डरावने लग रहे हैं। इनके स्वामियों को बिजली, पानी और आधारित व्यवस्थाएं कराना दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है। सीजन के लिए बुलाए गए कर्मचारी कारोबारियों के गले पड़ गए हैं। हालात जन्द सामान्य नहीं हुए तो ऋषिकेश ही नहीं सूबे की आर्थिकी पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। हैरानगी की बात यह है कि अभी तक व्यवस्था के स्तर से पर्यटन और तीर्थाटन को उभारने के लिए कोई ठोस कदम उठते नहीं दिख रहे हैं। इस व्यावसाय से जुड़े लोगों में निराशा साफ देखी जा सकती है। हर किसी के मन में यही सवाल है कि आखिर उतराखंड का पर्यटन और तीर्थाटन कैसे उभरे

पूरा गांव पर्यटन पर ही था निर्भर
ऋषिकेश से सटे बवांणी ग्रामसभा का प्रत्येक परिवार साहसिक पर्यटन से जुड़ा हुआ था। परिवार के सदस्य सीजन में गांव के सभी लोग साहसिक पर्यटन का व्यवसाय कर अपनी रोजी रोटी का गुजारा वर्षभर के लिए करते थे। ग्रामसभा के वो लोग जो कुछ समय गांव से पलायन कर दूर दराज नौकरी करने गए थे। उन्होंने भी वर्ष 2015 में घर वापसी कर अपना पर्यटन का रोजगार खोल दिया था और अच्छे से अपना गुजर बसर कर रहे थे। लेकिन कोरोना की मार से अब पर्यटन चैपट होता देख ग्रामसभा के लोग भी घबराने लगे हैं या सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि उनके उपर रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है। ग्रामसभा के जयेंद्र भंडारी, विक्रम सिंह आदि का कहना है कि कुछ समय पूर्व जब उन्होंने अपने राज्य और गांव में साहसिक पर्यटन में अपना जीवन यापन करने की ठानी तो वह देश प्रदेशों से लौटकर आए थे और अपना अच्छे से गुजारा कर रहे थे। लेकिन कोरोना की मार से अब आर्थिक संकट गहराने लगा है। उन्होंने सरकार से इस विषय में ठोस निर्णय लेने की मांग की है।
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