बूढ़ी दिवाली के जश्न में डूबा जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर चकराता
देवभूमि उत्तराखंड का जनजातीय क्षेत्र चकराता जौनसार -बावर अपनी लोक संस्कृति लोक परंपरा के लिए प्रसिद्ध है । देहरादून जिले के चकराता जौनसार क्षेत्र में लगभग 200 गांव में परंपरागत बूढ़ी दिवाली शुरू हो गई है ।ग्रामीणों ने अपने इष्ट देव के मंदिर में माथा टेककर पर्व का जश्न मनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी ,पर्व को मनाने के लिए नौकरी पेशा परिवार अपने पैतृक गांव पहुंच कर इस दिवाली के जश्न में डूबे हुए हैं। जनजाति क्षेत्र जौनसार में बूढ़ी दिवाली पर अतिथि देवो भव की परंपरा सदा यह सदियों से चली आ रही है ।जौनसार की यह दिवाली 4 दिन तक चलती है । सांय ढलते ही लोग अपने पंचायती आंगन में अपने इष्ट देवता की बंदना करने के बाद नृत्य की प्रस्तुति देते हैं ।अनूठी लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध जौनसार में तीज ,,त्यौहार ,शादी समारोह मनाने के तरीके निराले हैं। चकराता की -बावर क्षेत्र के ग्रामीणो ने देशभर में मनाई जाने वाली दीपावली को मना चुके हैं। लेकिन जनजातीय क्षेत्र जौनसार में दीवाली एक महा बाद बूढ़ी दीवाली का जश्न 4 दिनों तक चलेगा, जो पांचवें दिन भी चलेगा। पंचायती आंगन के साथ घरों में भी नाच गाना शुरू हो गया है ।जिससे जौनसार की अनूठी संस्कृति छटा बिखर रही है। मेहमानो को चूड़ा, मीठी रोटी परोसी जा रही है । इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए जनजाति लोग पटाखे नहीं चलाते हैं। मोमबत्ती की जगह मसाले रोशनी का माध्यम बनती है।
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