हिन्दू धर्म में मान्यता है कि माता-पिता को मुखाग्नि केवल बेटा ही दे सकता है। बेटा न हो तो परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा यह कर्मकांड निभाया जाता है। महिलाओं के लिए तो श्मशान घाट में झांकने की इजाजत तक नहीं।
यह किसी पोस्टर का स्लोगन नहीं बल्कि यह यथार्थ है। कासगंज में एक बेटी ने अपने पिता की मौत हो जाने के बाद उनकी अंतिम क्रिया अपने हाथों से संपन्न की। गंगाघाट जाकर अंतिम संस्कार किया। भावना ने पुत्र का फर्ज निभाकर बेटा और बेटी के अंतर को मिटा दिया। नगर के एसजेएस इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य आरके पाठक का बीमारी के चलते अपोलो अस्पताल में निधन हो गया।
प्रधानाचार्य आरके पाठक के केवल एक ही बेटी हैं भावना पाठक। जिसकी पिछले माह ही 17 जनवरी को बदायूं से शादी हुई है। पिता के बीमार होने पर भावना चिकित्सालय में रही। रात को उनका शव कासगंज लाया गया।
बुधवार को शवयात्रा के बाद कछला गंगाघाट जाकर भावना ने पिता की चिता को मुखाग्रि दी। यह देखकर सभी लोग बेटी के हौसले को सलाम करते नजर आ रहे थे।
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