7 मई से 13 मई के बीच एक हफ़्ते में भारत 12 देशों से अपने क़रीब 15 हज़ार भारतीयों को लाने जा रहा है. ये देश हैं संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, क़तर, बहरीन, कुवैत, ओमान, बांग्लादेश, फ़िलिपींस, सिंगापुर, मलेशिया, यूके और अमेरिका.
कुल आठ मापदंड निर्धारित किए गए हैं जिनके आधार पर नागरिकों को वापस लाया जा रहा है. इनमें प्रवासी श्रमिक, छोटी अवधि के वीज़ाधारक, गर्भवती महिला, स्वास्थ्य इमरजेंसी, बुजुर्ग, पर्यटक, छात्र, किसी नज़दीकी संबंधी की मृत्यु और डिपोर्टेशन झेल रहे भारतीय शामिल हैं.
ऐसे नागरिकों को पहले अपने आपको रजिस्टर करने के लिए कहा गया. इसके बाद तय मापदंड के हिसाब से उनकी पहचान की गई है. इन्हें चौसठ फ्लाइटों के ज़रिए भारत लाया जा रहा है. सभी को अपना किराया देना है. जैसे अमेरिका से आने वालों को 1 लाख, यूके से आने वालों को 50 हज़ार और खाड़ी के देशों से आने वालों को 15 हज़ार. इसी तरह कुल 12 देशों से आने वालों के लिए तयशुदा रक़म बताई गई है. इन सभी को मेडिकल जांच होगी. जिनमें लक्षण नहीं हैं उन्हीं को फ़्लाइट लेने दी जाएगा. फ़्लाइट में कोई संक्रमण न हो इसके लिए इनको सुरक्षा किट दिए जाएंगे.
नेपाल से लैंड बॉर्डर के ज़रिए भारतीयों को लाने की योजना है. लेकिन वो बाद की योजना है. मालदीव से नौसेना के जहाज़ में भारतीयों को लाया जा रहा है. इसे नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु का नाम दिया है. इसी तरह जिन देशों में भी भारतीय फंसे हैं उनकी भी देर सबेर बारी आएगी, ऐसा माना जा रहा है
लौटकर आने वाले हर भारतीय की मेडिकल जांच होगी और संस्थागत तौर पर उनको 14 दिनों के क्वारेंटाइन में रहना होगा. ये तो एक सामान्य प्रक्रिया है जो हर भारतीय के लिए अपनाई जाएगी. लौटकर आने वाले दक्ष कामगारों के लिए कोशिशें की जा रही हैं कि उनको उनकी दक्षता के हिसाब से देश की फ्लैगशिप परियोजनाओं में काम मिले.