Breaking News
शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर सीएम धामी ने किया कन्या पूजन 
शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर सीएम धामी ने किया कन्या पूजन 
दांतों की बीमारी से हो सकता है कई बीमारियों का खतरा
दांतों की बीमारी से हो सकता है कई बीमारियों का खतरा
मुख्यमंत्री ने जनता मिलन कार्यक्रम में सुनी जनसमस्याएँ
मुख्यमंत्री ने जनता मिलन कार्यक्रम में सुनी जनसमस्याएँ
उत्तराखंड प्रांतीय सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों ने सीएम का जताया आभार 
उत्तराखंड प्रांतीय सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों ने सीएम का जताया आभार 
शीतकाल के लिए दो नवंबर को बंद किए जाएंगे गंगोत्री धाम के कपाट
शीतकाल के लिए दो नवंबर को बंद किए जाएंगे गंगोत्री धाम के कपाट
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने महानवमी के सुअवसर पर किया कन्या पूजन 
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने महानवमी के सुअवसर पर किया कन्या पूजन 
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला साहित्य के क्षेत्र में 2024 का नोबेल पुरस्कार 
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला साहित्य के क्षेत्र में 2024 का नोबेल पुरस्कार 
जमीन खरीद की डिटेल सात दिन में शासन को भेजें- मुख्य सचिव
जमीन खरीद की डिटेल सात दिन में शासन को भेजें- मुख्य सचिव
आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, घरों में खाने की थाली कमजोर कर रही महंगाई 
आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, घरों में खाने की थाली कमजोर कर रही महंगाई 

सबसे खौफनाक हवाई अपहरण

सबसे खौफनाक हवाई अपहरण

रजनीश कपूर
जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ एस पी वैद के अनुसार, उस समय की सरकार के क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने निर्णय लेने में बहुत देर लगाई। यदि उस विमान को अमृतसर हवाई अड्डे से उडऩे नहीं दिया जाता तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती। अमृतसर में तैनात स्थानीय अधिकारियों को भी बिना किसी औपचारिक आदेश के, राष्ट्र हित में यह निर्णय ले लेना चाहिए था कि किसी भी सूरत में विमान को उडऩे नहीं दिया जाए।
बीते सप्ताह नेटफ़्लिक्स पर सत्य घटनाओं पर आधारित एक वेब सीरिज़ रिलीज़ हुई जिसे लेकर काफ़ी बवाल मचा। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ी, नेटफ़्िलक्स ने बिना किसी विलंब के स्पष्टिकरण भी दे दिया। परंतु जिस तरह सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं उस स्थिति पर तो मशहूर शायर शहाब जाफऱी का ये शेर एक दम सही बैठता है, तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफि़ला क्यूँ लुटा? मुझे रहजऩों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है। आज हम बात करेंगे देश के इतिहास में हुए सबसे ख़ौफऩाक हवाई अपहरण की। इस हाईजैक को लेकर बनी वेब सीरिज़ पर इन दिनों काफ़ी बवाल मचा हुआ है। परंतु सवाल उठता है कि यदि ओटीटी प्लेटफार्म ने भूल को सुधार ही लिया है तो फिर बवाल किस बात का? बवाल या विवाद यदि होना ही है तो उस समय की परिस्थितियों को लेकर हो तो शायद सत्य जनता के सामने आए।

यदि चंद घंटों के लिए आपकी ट्रेन या फ्लाइट में देरी हो जाए तो आप किस कदर परेशान हो जाते हैं इसका अनुमान तो आसानी से लगाया जा सकता है। परंतु यदि आप अपने गंतव्य पर जा रहे हैं और अचानक से आपके विमान का हाईजैक कर लिया जाए तो आपकी क्या मनोस्थिति होगी इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। अपहरण जैसे हादसे न सिफऱ् यात्रियों की बल्कि यात्रियों के परिवार और सरकार की भी परेशानी का सबब बन जाते हैं। क्योंकि न तो कोई सरकार या कोई भी यात्री इन परिस्थितियों के लिए तैयार रहता है। 1999 में हुए आईसी-814 का अपहरण, भारत के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा चलने वाला अपहरण है।

इस अपहरण को लेकर उस समय की सरकार द्वारा लिए गए’ और न लिये गये’ निर्णयों पर विवाद एक बार फिर से गरमा गया है। सत्तापक्ष का कहना है कि नेटफ़्िलक्स पर दिखाए जाने वाली वेब सीरिज़ ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। यदि ऐसा है तो निर्माताओं द्वारा ऐसा करना बिलकुल ग़लत है। वहीं इस विमान में मौजदू एक महिला यात्री का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी हुआ है जिसने इस बात को खुल कर कहा है कि वेब सीरीज़ में दिखाए गए सभी घटनाक्रम सहीं हैं।

विवाद की बात करें तो सत्तापक्ष को इस बात पर एतराज़ था कि वेब सीरिज़ के निर्माताओं ने पाकिस्तानी मूल के  अपहरणकर्ताओं के असली नाम नहीं बताए। उनके कोड नामों को ही प्रचारित किया गया है। चूँकि मैंने इस वेब सीरिज़ को पूरा देखा है इसलिए मैं और मेरे जैसे सभी दर्शक इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि भारत की खुफिया जाँच एजेंसियों के जिन अधिकारियों को इस वेब सीरिज़ में दिखाया गया है, उनमें से कई अधिकारियों ने इन आतंकी अपहरणकर्ताओं के असली नाम भी लिये हैं। परंतु इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता है कि, हाईजैकिंग के दौरान आईसी-814 में सवार यात्रियों ने पूछताछ में बताया था कि हाईजैकर्स एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोडनेम का इस्तेमाल कर रहे थे। ये कोडनेम, चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर थे। यह बात भी सही है कि इनके असली नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, शनि अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे। इन नामों का खुलासा 6 जनवरी 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में किया गया।

जिस बात को लेकर इस वेब सीरिज़ पर बवाल हुआ है वह यह कि ऐसे आतंकियों को हिंदू कोडनेम से क्यों बुलाया गया है? ग़ौरतलब है कि जिस किसी ने भी यह वेब सीरीज़ देखी है वह बड़ी आसानी से इस बात की पुष्टि कर सकता है कि किस तरह नेपाल में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी इनका सहयोग कर रहे थे। विमान में यात्रा से पूर्व इन आतंकियों के पहनावे से भी यह बात स्पष्ट हो जाती है कि वे हिंदू नहीं थे। तो फिर बिना बात का बवाल क्यों? वहीं उस समय के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जो अब सेवानिवृत हो चुके हैं, ये मानते हैं कि आईसी-814 के अपहरण को भारत सरकार द्वारा सही से मैनेज’ नहीं किया गया।

किस तरह एक सरकारी विभाग, दूसरे विभाग पर जि़म्मेदारी डालता रहा। एक टीवी चैनल को साक्षात्कार देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ एस पी वैद के अनुसार, उस समय की सरकार के क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने निर्णय लेने में बहुत देर लगाई। यदि उस विमान को अमृतसर हवाई अड्डे से उडऩे नहीं दिया जाता तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती। अमृतसर में तैनात स्थानीय अधिकारियों को भी बिना किसी औपचारिक आदेश के, राष्ट्र हित में यह निर्णय ले लेना चाहिए था कि किसी भी सूरत में विमान को उडऩे नहीं दिया जाए।

आईसी-814 के अपहरण के बदले छोड़े जाने वाले ख़ूँख़ार आतंकवादियों के विषय में डॉ वैद कहते हैं कि, ऐसे ख़ूँख़ार आतंकियों को जि़ंदा पकडऩा ही ग़लत है। यहाँ मुझे एक दिलचस्प कि़स्सा याद आ रहा है। अब से कई वर्ष पहले मुरादाबाद में मैं एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था जहां पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल से एक महिला ने सवाल पूछा, गिल साहब जब आप पंजाब में ख़ूँख़ार आतंकियों को पकड़ते थे तो आपको कैसा महसूस होता था? गिल साहब के उत्तर को सुन पूरा हॉल ठहाके लगा कर हंस पड़ा। उनका उत्तर था, मैडम कृपया अपने तथ्य सही कर लें, मैंने कभी किसी आतंकी को जि़ंदा नहीं पकड़ा।

उस संकट की घड़ी में यदि कोई अधिकारी ऐसे ही मज़बूत निर्णय ले लेता तो आज यही वेब सीरिज़ भारत के सरकारी तंत्र के गुणगान में बनती। लेकिन अफ़सोस है कि ऐसा न हो सका। इसलिए यदि कोई राजनैतिक दल वेब सीरिज़ के निर्माताओं पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रहा है तो उसे इस बात के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि सरकार द्वारा निर्णय लेने में इतनी देरी क्यों हुई जिस कारण हमें आजतक शर्मसार होना पड़ रहा है? तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि काफिला क्यूँ लुटा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top