Breaking News
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने महानवमी के सुअवसर पर किया कन्या पूजन 
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने महानवमी के सुअवसर पर किया कन्या पूजन 
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला साहित्य के क्षेत्र में 2024 का नोबेल पुरस्कार 
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला साहित्य के क्षेत्र में 2024 का नोबेल पुरस्कार 
जमीन खरीद की डिटेल सात दिन में शासन को भेजें- मुख्य सचिव
जमीन खरीद की डिटेल सात दिन में शासन को भेजें- मुख्य सचिव
आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, घरों में खाने की थाली कमजोर कर रही महंगाई 
आसमान छू रहे सब्जियों के दाम, घरों में खाने की थाली कमजोर कर रही महंगाई 
DM का बड़ा एक्शन, बिना अनुमति रोड कटिंग करने पर एस०के गुप्ता एण्ड कम्पनी वैन्डर रिलाइन्स जिओ पर मुकदमा दर्ज
DM का बड़ा एक्शन, बिना अनुमति रोड कटिंग करने पर एस०के गुप्ता एण्ड कम्पनी वैन्डर रिलाइन्स जिओ पर मुकदमा दर्ज
आरटीआई में पहाड़ी जनपदों और महिलाओं की भागीदारी की जाय सुनिश्चित- राज्यपाल
आरटीआई में पहाड़ी जनपदों और महिलाओं की भागीदारी की जाय सुनिश्चित- राज्यपाल
एक भारत श्रेष्ठ भारत- भारतीय फिल्मों की एकसूत्र में बांधने की शक्ति
एक भारत श्रेष्ठ भारत- भारतीय फिल्मों की एकसूत्र में बांधने की शक्ति
उत्तराखण्ड में आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी में संतुलन के लिए बनायी योजना
उत्तराखण्ड में आर्थिकी एवं पारिस्थितिकी में संतुलन के लिए बनायी योजना
अजय देवगन की सिंघम अगेन के ट्रेलर ने रचा भारतीय सिनेमा में इतिहास, रनटाइम 4 मिनट 58 सेकंड लंबा
अजय देवगन की सिंघम अगेन के ट्रेलर ने रचा भारतीय सिनेमा में इतिहास, रनटाइम 4 मिनट 58 सेकंड लंबा

आरक्षण रद्द बिहार सरकार को तगड़ा झटका

आरक्षण रद्द बिहार सरकार को तगड़ा झटका

पटना हाई कोर्ट ने 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किए गए राज्य सरकार के आरक्षण को रद्द कर दिया है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार को तगड़ा झटका माना जा रहा है। यह दलितों, पिछड़े वर्गों व आदिवासियों को सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में दिया जा रहा था। बिहार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार द्वारा बीते साल नवम्बर में जाति गणना के आधार पर इन वर्गों के लिए आरक्षण सीमा बढ़ाने का कानून बनाया गया था। अदालत ने विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के बाद इस बढ़ी आरक्षण सीमा को संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 20 का उल्लंघन बताया। जैसा कि शीर्ष अदालत पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि कोई भी राज्य सरकार 50 प्रतिशत की तय सीमा से अधिक कोटा नहीं लागू कर सकती है, जबकि बिहार में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 फीसद मिलाकर यह आरक्षण 75 प्रतिशत पहुंच गया था।

अदालत का मानना है कि बिहार में कुल जनसंख्या के केवल 1.57 प्रतिशत लोग ही सरकारी नौकरियों में हैं। जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व भी पर्याप्त बताया जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार इस आदेश के खिलाफ सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है। दरअसल, जैसा नजर आता है कि आरक्षण अब राजनीतिक पार्टियों के लिए जनता को फुसलाने का साधन मात्र रह गया है। उनका ध्येय समाज में व्याप्त गैर-बराबरी को मिटाना नहीं रहा।

वे मतदाताओं को बड़ी तादाद में प्रभावित करने के उद्देश्य से व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करते नजर आते हैं। तमाम अगड़ी जातियां मानती हैं कि आरक्षण के चलते नौकरियों क लाले पड़ रहे हैं। वे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के प्रभावित होने का रोना भी रोती रहती हैं, परंतु यह भी गलत नहीं है कि हमारी सामाजिक व्यवस्था में विभिन्न जातियों/समुदायों को जबरदस्त अन्याय सहना पड़ा है।

उनके लिए कोटा तय कर, उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक तौर पर बराबरी पर लाने के प्रयासों पर अड़चनें लाने उचित नहीं है। यूं तो अन्य राज्यों में भी सत्ताधारी दल लाभ के लोभ में कोटा बढ़ाते रहने को उतावले हो सकते हैं। इसलिए बिना देरी किए, इस पर लगाम लगाना लाजमी है। कमजोर वर्ग की सहूलियत के लिए, उन्हें सहायता देने व जीवन स्तर बेहतर बनाने के अन्य तरीकों पर भी विचार किए जाने की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top