देहरादून। वन विभाग के किसी भी आयोजन में और गेस्ट हाउसों में अब मांसाहर नहीं परोसा जाएगा। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं और सख्ती से आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के साथ ही घरेलू मवेशियों के प्रति भी विभाग का पूर्ण दायित्व है।
वन विभाग में समय-समय पर विभिन्न महत्वपूर्ण आयोजन जैसे बैठकें, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम, महत्वपूर्ण व्यक्तियों के भ्रमण आदि होते रहते हैं। जिनमें अक्सर विभागीय रूप से खान-पान की व्यवस्था भी होती है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने बताया कि वन विभाग एक ऐसा विभाग है, जिसके दायित्वों में वन्यजीव संरक्षण प्रमुख है। हालांकि, यह वन्यजीवों के संरक्षण तक सीमित होता है, लेकिन पालतू मवेशियों-पक्षियों के प्रति भी संवेदना रखना आवश्यक है।
कहा कि शाकाहार या मांसाहार एक व्यक्तिगत पसंद का विषय है, लेकिन उपरोक्त संदर्भ में सरकारी व्यय से की जाने वाली खान-पान की व्यवस्था में कुछ भिन्नता रखी जानी आवश्यक है। पिछले पौने तीन वर्षों में वन मुख्यालय के स्तर पर जो भी आयोजन हुए हैं और बाहर भी जिन-जिन विभागीय आयोजनों में गए हैं, उनमें यह ध्यान रखा गया है कि खान-पान की व्यवस्था किए जाने की स्थिति में पशु-पक्षियों के मांस को न परोसा जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि वन विभाग के कार्यक्रमों में खान-पान की व्यवस्था के तहत पशु, पक्षियों व मछलियों के मांस को किसी भी रूप में नहीं परोसा जाएगा।