देहरादून। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम में की गई व्यवस्था के अनुरूप देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने चारधाम के हक-हकूकधारियों के अधिकारों का निर्धारण कर दिया है। बोर्ड ने इसका प्रारूप भी तैयार कर लिया है, जिसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में दशहरे के बाद होने वाली बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। सरकार की मंजूरी के बाद हक-हकूकधारियों के अधिकार बाकायदा बोर्ड की नियमावली में दर्ज होंगे, जिसके लिए विधेयक लाया जाएगा।
चारधाम व उससे जुड़े 51 मंदिरों का प्रबंधन संभालने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने हक-हकूकधारियों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मंथन शुरू किया। सूत्रों के अनुसार ये प्रयास किया गया है कि तीर्थ पुरोहितों, न्यासियों, हक-हकूकधारियों को पूर्व में मिलते आ रहे अधिकार बरकरार रखे जाएं। हालांकि, इनमें परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए थोड़ा-बहुत बदलाव भी किए गए हैं।देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं मंडलायुक्त रविनाथ रमन ने चारधाम के हक-हकूकधारियों के हक-हकूक का निर्धारण किए जाने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की भावना के अनुरूप इस सिलसिले में प्रारूप तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि दशहरे के बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बोर्ड की बैठक में यह प्रारूप रखा जाएगा। इसके बाद ही इस बारे में कोई जानकारी दी जा सकती है।
जगह-जगह साइनेज लगवाएगा बोर्ड
चारधाम यात्रा के सुचारू प्रबंधन में जुटा देवस्थानम बोर्ड अब जल्द ही जगह-जगह यात्रा से संबंधित साइनेज, बोर्ड लगवाएगा। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि चारधाम के कपाट बंद होने से पहले काफी हद तक साइनेज लगा दिए जाएंगे। इसके साथ ही अगले साल के लिए अभी से यात्रा की तैयारियां भी बोर्ड शुरू करेगा।सतपाल महाराज ( पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि प्रदेश सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि चारधाम के सभी हक-हकूकधारियों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।